नोएडा में आई जहर घोलने वाली हाईटेक ई-सिगरेट : क्या होती है E-Cigarette, कैसे करती है काम और क्या हैं इसके नुकसान?

A G SHAH
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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

नोएडा  : नोएडा पुलिस रोजाना गांजा तस्कर, अवैध शराब तस्कर और अब ई-सिगरेट जैसे नशीले पदार्थों को पकड़ रही हैं। हाल ही में सांप के जहर का मामला भी नोएडा से सामने आया था, जिसमें पुलिस जांच में इसका खुलासा हुआ था कि सांप के जहर से भी नशा किया जा रहा हैं। लिहाजा, यह कहना गलत नहीं होगा कि नोएडा नशा तस्करों का गढ़ बन चुका है। यहां पर दूसरे राज्यों से आकर छात्र पढ़ रहे है। ऐसे में कई नामी यूनिवर्सिटी में नशे की लत लगने से कई स्टूडेंट की पढ़ाई पर असर होता दिखाई दे रहा है। युवाओं में नए-नए नशों को ट्राई करने का क्रेज होना एक चिंता का विषय है। नशे की लत इतनी खतरनाक हो गई है कि कूल बनने के लिए जहर को भी गटक रहे है। शनिवार को नोएडा पुलिस ने अब ई-सिगरेट को पकड़ा है। इसके बारे में जब जानेंगे तो आप भी हैरान हो जाएंगे। पुलिस ने चीन से नोएडा में तस्कर होने वाली 45 लाख की ई-सिगरेट पकड़ी है। इस ई-सिगरेट में निकोटीन होता है, जो बहुत खतरनाक है। 

ऐसे करते है नेपाल से दिल्ली एनसीआर में सप्लाई

पकड़े गए उत्तराखंड खटीमा निवासी अहमद रफी और तस्लीम बताया ने बताया कि चीन से आने वाली इस ई-सिगरेट को नेपाल के रास्ते भारत में लेकर आते थे। इसके बाद आरोपी इसकी सप्लाई दिल्ली-एनसीआर में करते थे। ई-सिगरेट को महंगे बार, क्लब और युवाओं को उपलब्ध कराया जाता था। युवाओं को ब्रिकी के लिए टारगेट किया जाता है। उन्होंने बताया कि एक ही सिगरेट की कीमत 4000 रुपये से लेकर 8000 रुपये तक है।

इस देश में तेजी से हो रहा ई-सिगरेट का इस्तेमाल

भारत ही नहीं अमेरिका में भी इसका क्रेज देखने को मिला है। आपको बता दें कि 2023 में 2.13 मिलियन अमेरिकी मिडिल और हाई स्कूल के छात्रों ने पिछले 30 दिनों में ई-सिगरेट का इस्तेमाल किया, जिसमें मिडिल स्कूल के 4.6% छात्र और हाई स्कूल के 10.0% छात्र शामिल थे। वर्तमान की बात की जाए तो ई-सिगरेट का उपयोग करने वाले वयस्क, जिन्होंने कभी सिगरेट नहीं पी है, उनका प्रतिशत 18-24 वर्ष (56.0%) की आयु वाले लोगों में सबसे अधिक है और अधिक उम्र के समूहों में कम है। 

क्या है ई-सिगरेट और कैसे करते है इस्तेमाल

रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र के मुताबिक ई-सिगरेट एक तरह की इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम डिवाइस है। डिवाइस बैटरी से चलता होते हैं, जो शरीर में निकोटिन पहुंचाने का काम करते हैं। डिवाइस में सबसे ज्यादा डिमांड ई-सिगरेट की रहती है। सामान्य सिगरेट की तरह ई-सिगरेट में तंबाकू नहीं भरा होता है और न ही इसे पीने के लिए कहीं से जलाने की जरूरत होती है। बहुत सी ई-सिगरेट्स में से तो पीने पर धुआं भी नहीं निकलता है। इसमें तंबाकू की जगह एक कार्टेज में तरल निकोटिन भरा रहता है। खत्म होने पर कार्टेज को दोबारा से भरा जा सकता है। सिगरेट के दूसरे छोर पर एलईडी बल्ब लगा होता है जो कश लगाने समय जलता है। ये तरल निकोटिन गर्म होकर भाप बन जाता है।

ई-सिगरेट कितना नुकसान पहुंचाती है?

निकोटिन का सेवन हार्ट, किडनी और लीवर के लिए खतरनाक है। इसमें कैंसर पैदा करने वाले एजेंट होते हैं। WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक E-cigarette के तरह-तरह के फ्लेवर युवाओं को चुंबक की तरह खींचते हैं और अपना आदी बनाते हैं। कई लोगों का मानना होता है कि यह नुकसानदायक नहीं होती है, जबकि सच यह है कि यह सिर्फ उन लोगों के लिए थोड़ी कम नुकसानदायक होती है जो सिगरेट पीते हैं। सिगरेट न पीने वालों के लिए यह नुकसानदायक सबसे ज्यादा है।

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