पश्चिम बंगाल का गांव संदेशखाली में एंट्री आसान नहीं है

A G SHAH
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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

कोलकाता

 मीडिया, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता किसी को संदेशखाली में घुसने की इजाजत नहीं है। बांग्लादेश सीमा पर सटे इस गांव में धारा-144 लगी है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है। इस गांव में शाहजहां शेख, उसके दो चेलों उत्तम सरदार और शिबू हाजरा के आतंक फिल्मों के विलेन जैसा है। तृणमूल कांग्रेस के इन नेताओं पर जबरन जमीन पर कब्जा करने, बिना पैसे की मजदूरी कराने, मेहनताना मांगने पर पिटाई और महिलाओं से रेप जैसे आरोप हैं। दहशत इस कदर है कि शाम ढलने के बाद गांव की महिलाएं अपने घर से नहीं निकलती हैं। आरोप है कि ये सभी महिलाओं को पार्टी की मीटिंग के नाम पर रात 12 बजे अपने ऑफिस में बुलाते थे। जब महिला आयोग की टीम संदेशखाली पहुंची तो महिलाएं अपनी व्यथा सुनाकर रोने लगीं। जब गवर्नर सीवी आनंद बोस संदेशखाली पहुंचे थे, तब भी शाहजहां शेख का काला सच सामने आया।

शेख के इशारे पर पश्चिम बंगाल पुलिस करती रही परेशान

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना ज़िले में संदेशखाली में जब महिलाओं पर जुल्म के मामले ने तूल पकड़ा तो पुलिस ने आनन-फानन में उत्ता सरदार को गिरफ्तार कर लिया। तृणमूल कांग्रेस ने उसे छह साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया। राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल पुलिस की शाहजहां शेख की मिलीभगत भी जिक्र किया गया है। पीड़िताओं से बातचीत के आधार पर महिला आयोग ने बताया कि जब महिलाएं शाहजहां शेख और उसके गुर्गों का विरोध करती थीं, तब बंगाल पुलिस उनके परिवार को परेशान करती थी। शाहजहां शेख के इशारे पर पुलिस पीड़िताओं के पति को झूठे मामलों में गिरफ्तार करती रही। टीएमसी का प्रशासन भी नौकरी करने वाले लोगों को ट्रांसफर करने की धमकी देता रहा। आयोग की सदस्य डेलिना खोंगडुप ने बताया कि संदेशखाली में महिलाओं की हालत और पुलिस की भूमिका भयावह तस्वीर पेश करती है। हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने इन आरोपों को निराधार बताया है। ममता सरकार के मंत्री पार्थ भौमिक ने इसे जमीन के बदले पैसे का विवाद मानते हैं। उनका कहना है कि जमीन के लीज के एवज में कई लोगों को रकम का भुगतान नहीं हुआ, इस कारण लोग नाराज हो गए। उन्होंने महिलाओं से रेप के आरोपों से इनकार किया। अभी तक पुलिस ने 17 लोगों को गिरफ्तार किया है।"

"कौन है शाहजहां शेख, जिसका इशारा ही संदेशखाली में फरमान है

42 साल का शाहजहां शेख उत्तर 24 परगना में 'भाई' के नाम से मशहूर है। उसके इशारे पर ही राशन घोटाले की जांच करने पहुंची ईडी और सीआरपीएफ टीम पर हमले किए गए। मछली कारोबारी रहे शाहजहां शेख ने 2004 में ईंट भट्ठा यूनियन से अपनी राजनीति में शुरू की। सीपीआई(एम) ने उसे यूनियन लीडर बना दिया। फिर उसने कई धंधों में हाथ आजमाया। जमीन की खरीद फरोख्त और सूद पर पैसे देने के कारोबार में उसने तरक्की की। 2011 में उसने सीपीएम छोड़कर टीएमसी का दामन थाम लिया। किसी जमाने में मुकुल राय के खास रहा शाहजहां शेख टीएमसी के दिग्गज नेता ज्योतिप्रिय मल्लिक का करीबी बन गया। इसके बाद सत्ता के गलियारे और प्रशासन में उसकी धमक बढ़ गई। आरोप है कि 2018 में ग्राम पंचायत के उप प्रमुख बनने के बाद उसने जमीन हड़पने का अभियान शुरू कर दिया। महिला आयोग के अनुसार, उसके इशारे पर महिलाओं का शारीरिक उत्पीड़न किया गया। पीड़ित महिलाओं ने बताया वह रात 12 बजे इलाके की महिलाओं की मीटिंग बुलाता था। किसी की हिम्मत नहीं थी कि उसका विरोध करे। जिसने विरोध किया, उसे 'भाई' के गुर्गे उत्तम सरदार और शिबू हाजरा ने परेशान किया। आतंक का हद यह था कि लोग इनके खिलाफ बोलने से अभी भी कतराते हैं। शाहजहां शेख पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत में एंट्री कराने के आरोप भी लगे। ईडी टीम पर हमले के बाद से टीएमसी नेता शाहजहां शेख फरार है। ईडी ने उसके खिलाफ आउटलुक नोटिस जारी कर रखा है। चर्चा है कि वह बांग्लादेश भाग चुका है।

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