Article 370 हटाने का क्या था वो सीक्रेट प्लान? जिसमें चकमा खा गया विपक्ष, सदा के लिए बदल गई कश्मीर की फिजा

A G SHAH
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राजेश कुमार यादव की कलम से

SctvNews

जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया जाएगा, 5 अगस्त, 2019 की सुबह तक इसकी किसी को भनक तक नहीं थी। कुछ दिन पहले से राज्य में सुरक्षा बलों के जमावड़े से ये तो लग रहा था कि वहां कुछ बड़ा होने वाला है। लेकिन, राज्य का विशेष दर्जा खत्म हो जाएगा, इसको लेकर होने वाली बातें फिर भी सिर्फ मजाक ही लगती थी।

सवाल है कि इस फैसले को इतना गोपनीय कैसे बनाए रखा गया। कैसे किसी को कानो-कान भनक नहीं लगने दी गई। जम्मू-कश्मीर के जो बड़बोले नेता इसे खत्म किए जाने की स्थिति में ईंट से ईंट बजाने की धमकी देते आ रहे थे, कैसे उनको दिन में ही तारे दिखाई देने लग गए।

पीएम मोदी ने खुद की सीक्रेट मिशन की अगुवाई

अनुच्छेद 370 को संविधान से मिटाने वाला मिशन इतना गोपनीय और कामयाब इसलिए रहा, क्योंकि इसकी गोपनीयता की कमान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्तर से संभाली थी।

सामान्य सी कार में राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे पीएम

केंद्र सरकार इतना बड़ा फैसला लेने जा रही है, इसकी जानकारी देने के लिए 4 अगस्त, 2019 की देर शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति भवन पहुंचे। पीएम मोदी का राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए पहुंचना उतना ही सामान्य था, जितना असामान्य उनका बहुत ही साधारण सी कार में अकेले पहुंचना और वह भी बिना वाहनों के बड़े काफिले के साथ पहुंचना था।

विषय की संवेदनशीलता की वजह से बरती गई गोपनीयता

पीएम मोदी को यह कदम इसलिए उठाना पड़ा, क्योंकि उन्हें पता था कि उनका एजेंडा कितना संवेदनशील था। वह तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास सामान्य शिष्टाचार मुलाकात के लिए नहीं जा रहे थे, बल्कि देश में संविधान बनने के साथ एक सबसे विवादास्पद विषय को हमेशा-हमेशा के मिटाने के इरादे की जानकारी देने जा रहे थे।

इतना सीक्रेट रहा मिशन कि हैरान रह गया विपक्ष

यह गोपनीयता विरोधियों को चौंकाने की बड़ी योजना का भी हिस्सा थी, जो किसी भी सूरत में जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा हटाने देने के लिए तैयार नहीं हो पाते।

संसद में भी बहुत योजनाबद्ध तरीके से सरकार ने किया काम

पीएम मोदी की सरकार के लिए तब राजनीतिक तौर पर एक और फैसला बहुत ही जोखिम भरा था। राज्यसभा में उनकी सरकार को अपने दम पर बहुमत नहीं था। लेकिन, फिर भी उनकी सरकार ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन बिल, 2019 में पहले राज्यसभा में ही पेश किया।

बिल को राज्यसभा में पहले पेश करने की योजना की स्क्रिप्ट भी पीएम मोदी ने खुद लिखी। क्योंकि, उन्हें मालूम था कि लोकसभा में पहले लाना, विपक्ष को इसके खिलाफ मोर्चाबंदी के लिए ज्यादा समय देना होता। लोकसभा में तो खैर किसी तरह की परेशानी का सवाल ही नहीं उठता था।

इससे विपक्ष को इसके खिलाफ अपनी गोलबंदी को मजबूत करने का मौका मिल सकता था। लेकिन, जबतक उन्हें सरकार की तैयारी का अंदाजा भी लग पाता राज्यसभा से इसे बहुत ही आसानी से पास करा लिया गया।

बीजेपी के बुनियादी संकल्पों में शामिल था आर्टिकल 370 की समाप्ति

संविधान से आर्टिकल 370 को मिटाना भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के समय के बुनियादी संकल्पों में शामिल था। टीओआई ने कई सरकारी सूत्रों के हवाले से इस सीक्रेट मिशन की पुष्टि की है।

किस वजह से उस समय लिया फैसला

इनका कहना है कि पीएम मोदी ने इस फैसले को राजनीतिक लाभ के लिए भुनाने के इरादे से आगे तक रोकने की जगह, दूसरे कार्यकाल के लिए मिले शानदार जनादेश के तत्काल बाद के समय को चुना।

राजनीतिक नफा-नुकसान पर नहीं गई सरकार

उन्हें लगा कि जनता ने जितना बड़ा जनादेश दिया है, ऐसे में पार्टी के इस बुनियादी संकल्प के लिए राजनीतिक फायदा-नुकसान देखने की जगह इसपर ऐक्शन लेने की प्रतिबद्धता दिखाना आवश्यक है।

क्योंकि, इस भावनात्मक मुद्दे पर चुनावी लाभ लेना होता तो एक चुनाव के फौरन बाद कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने की जगह तीसरे कार्यकाल से ठीक पहले भी इसे हटाया जा सकता था और तबतक राज्यसभा में भी संख्या बल मजबूत होने की उम्मीद थी।

आर्टिकल 370 हटाने को लेकर सारी आशंकाएं बेकार साबित हुईं

एक समय था, जब यह आशंका जताई जाती थी कि आर्टिकल 370 हटाने के बारे में सोचना भी देश को उपद्रव की आग में झोंकने के समान हो सकता था। लेकिन, मोदी सरकार ने इन आशंकाओं की हवा निकालने का काम किया है।

सदा के लिए बदल गई कश्मीर की फिजा

सरकार का कहना है कि सिर्फ अनुच्छेद 370 के खात्मा होने भर से राज्य में आतंकवादी घटनाओं में अप्रत्याशित कमी आई है और यहां आने वाले पर्यटकों की तादाद कई गुना बढ़ गई है। पीएम मोदी ने जो कदम उठाया और गृहमंत्री अमित शाह ने उसे जिस तरीके से तामील कराया, उसी का परिणाम है कि सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) दोगुनी हो चुकी है।

आर्टिकल 370 की वजह से कश्मीर में एक ऐसा भी दिन था जब आतंकवादी यासीन मलिक जैसे देशद्रोही कई जघन्य अपराधों के बावजूद खुले घूमते थे और उसे हाथ लगाने तक से सरकारों के हाथ कांपने लगते थे।

एक आज का दिन है, जब एनआईए की एक महिला अफसर ने उसे कॉलर से पकड़कर घसीट लिया और कश्मीर की सड़कों पर किसी ने पत्थर नहीं फेंके और न ही किसी ने पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी करने का दुस्साहस किया।

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