साहित्यकार राजाराम जैन को मिला पद्मश्री अवार्ड : बिहार में रहते हुए कई उपलब्धियां हासिल कीं, जानिए इनका इतिहास -

A G SHAH . Editor in Chief
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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

नोएडा  : नोएडा के लिए गर्व की बात है। शहर में रहने वाले साहित्यकार राजाराम जैन को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। सेक्टर-34 में राजाराम जैन अपनी बेटी के साथ रहते हैं। इस उपलब्धि के बाद शहर के लोग उन्हें बधाई देने के लिए उनके आवास पर पहुंच रहे हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया पर लोग राजाराम जैन को लगातार बधाई दे रहे हैं। आपको बता दें, यह अवार्ड कला, साहित्य, शिक्षा, खेल-कूद, चिकित्सा, समाजसेवा, विज्ञान, इंजीनियरिंग, लोक कार्य, सिविल सेवा, व्यापार और उद्योग समेत अलग-अलग क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धि या सेवाओं के लिए दिए जाते हैं।

अब तक 35 पुस्तकें प्रकाशित

राजाराम जैन की बेटी रश्मि जैन ने बताया कि उनके पिता राजाराम जैन को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। यह उनके परिवार के लिए बड़ी उपलब्धि है। उनके पिता ने जटिल प्राचीन भारतीय और मध्यकालीन पांडुलिपियों को समझा और प्रकाशित किया है। उनकी करीब 36 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें से कई ज्ञानपीठ से प्रकाशित हैं। पिता उनके साथ सेक्टर-34 स्थित नीलगिरि-1 में रहते हैं। सेक्टर-34 आरडब्ल्यूए ने शॉल ओढ़ाकर राजाराम जैन को सम्मानित किया है। आरडब्ल्यूए सेक्टर-34 के पदाधिकारी केके जैन और धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि सेक्टर-34 की सभी 14 आरडब्ल्यूए की तरफ से कार्यक्रम करके राजाराम जैन को इस उपलब्धि के लिए सम्मानित किया जाएगा।

जाने कौन हैं राजाराम जैन

राजाराम जैन मूल रूप से मालथौन के रहने वाले हैं। उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करना उनकी राह में बड़ी चुनौती थी। उन्होंने कम उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया और उन्हें अपने छोटे भाइयों और बहन की देखभाल करनी पड़ी थी। लेकिन, सभी कठिनाइयों का सामना करते हुए राजाराम जैन ने शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने 64 साल तक बिहार के आरा में स्थित जैन कॉलेज में प्रोफेसर के तौर पर अपनी सेवाएं दीं। यहां रहते हुए उन्होंने कई किताबें लिखी। उसके बाद प्राचीन और मध्यकालीन भारतीय पांडुलिपियों (प्राकृत) के साथ काम किया और उनका हिंदी में अनुवाद किया। उनके प्रकाशनों में 36 किताबें और 250 शोध लेख शामिल हैं। वर्तमान में उनकी उम्र उम्र 94 साल है और वह अपनी बेटी के साथ नोएडा में रहते हैं। 

पहले मिल चुका है राष्ट्रपति और ज्ञानपीठ पुरस्कार

94 वर्षीय राजाराम जैन को साल 1999-2000 में साहित्य में राष्ट्रपति पुरस्कार और  मूर्तिदेवी पुरस्कार (भारतीय ज्ञानपीठ) से नवाजा जा चुका है। वह यूजीसी और  एनसीईआरटी समेत कई विश्वविद्यालयों के बोर्ड सदस्य रहे।  वह प्राकृत विद्या के प्रधान संपादक और जयपुर (राजस्थान) से प्रकाशित जैन धर्म विश्वकोश के अनुभागीय संपादक भी रहे।

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