विवाह समानता मामला | समलैंगिक जोड़ों को बच्चे गोद लेने का अधिकार नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 3:2 के बहुमत से दिया फैसला

A G SHAH
0


रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने आज भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया। संविधान पीठ ने चार फैसले सुनाए हैं- जिन्हें क्रमशः सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने लिखा है, जस्टिस हिमा कोहली ने जस्टिस भट के विचार से सहमति व्यक्त की है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 3:2 के बहुमत से समलैंगिक जोड़ों को गोद लेने के अधिकार से भी इनकार कर दिया।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस कौल ने माना कि केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) ने अविवाहित और समलैंगिक जोड़ों को गोद लेने से रोकने में अपने अधिकार का उल्लंघन किया है क्योंकि विवाहित जोड़ों और अविवाहित जोड़ों के बीच के अंतरा का CARA के उद्देश्य के साथ कोई उचित संबंध नहीं है, लेकिन पीठ में शामिल अन्य तीन जज इससे सहमत नहीं थे।

पीठ CARA विनियमों के विनियम 5(3) की वैधता पर विचार कर रही थी, जो एडॉप्‍शन से संबंध‌ित है। यह ध्यान दिया जा सकता है कि विनियम 5 भावी दत्तक माता-पिता के लिए पात्रता मानदंड प्रदान करता है। विनियम 5(3) में कहा गया है कि "किसी जोड़े को तब तक कोई बच्चा गोद नहीं दिया जाएगा जब तक कि रिश्तेदार या सौतेले माता-पिता द्वारा गोद लेने के मामलों को छोड़कर उनके पास कम से कम दो साल का स्थिर वैवाहिक संबंध न हो"। 

सीजेआई के फैसले के अनुसार, यह विनियमन संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन था।

सीजेआई ने कहा-

 "यूनियन ऑफ इंडिया ने यह साबित नहीं किया है कि अविवाहित जोड़ों को गोद लेने से रोकना बच्चे के सर्वोत्तम हित में है। इसलिए CARA ने अविवाहित जोड़ों को रोकने में अपने अधिकार का उल्लंघन किया है।" 

सीजेआई और जस्टिस कौल दोनों ने कहा कि यह नहीं माना जा सकता कि अविवाहित जोड़े अपने रिश्ते को लेकर गंभीर नहीं है। इसके अलावा, दोनों जजों ने माना कि यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है कि केवल एक विवाहित विषमलैंगिक जोड़ा ही एक बच्चे को स्थिरता प्रदान कर सकता है। तदनुसार, सीजेआई और जस्टिस कौल ने कहा कि CARA दिशानिर्देशों की दिशानिर्देश 5(3) असंवैधानिक है और अविवाहित समलैंगिक जोड़े गोद ले सकते हैं।

सीजेआई ने कहा-

 "CARA विनियमन 5(3) अप्रत्यक्ष रूप से असामान्य जोड़ों के खिलाफ भेदभाव करता है। एक समलैंगिक व्यक्ति केवल व्यक्तिगत क्षमता में ही गोद ले सकता है। इसका समलैंगिक समुदाय के खिलाफ भेदभाव को मजबूत करने का प्रभाव है... कानून यह नहीं मान सकता कि केवल विषमलैंगिक जोड़े ही अच्छे माता-पिता हो सकते हैं। यह भेदभाव होगा। इसलिए गोद लेने के नियम समलैंगिक जोड़ों के खिलाफ भेदभाव के लिए संविधान का उल्लंघन हैं।"

सीजेआई के फैसले में निष्कर्ष निकाला गया कि समलैंगिक जोड़े सहित अविवाहित जोड़े संयुक्त रूप से एक बच्चे को गोद ले सकते हैं। जस्टिस कौल भी इस दृष्टिकोण से सहमत थे। 

इसके विपरीत, जस्टिस भट, जस्टिस कोहली और जस्टिस नरसिम्हा सीजेआई से असहमत थे और सीएआरए नियमों को बरकरार रखा, जो समलैंगिक और अविवाहित जोड़ों को संवैधानिक रूप से बाहर करते हैं। 

केस टाइटल: सुप्रियो बनाम यूनियन ऑफ इं‌डिया| रिट याचिका (सिविल) संख्या 1011/2022+ संबंधित मामले


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top