पूर्वांचल की शान काव्य रचना प्रकृति मजरी पुस्तक का विमोचन किया गया

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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

गोरखपुर।कविवर  बृजभूषण राय बृज की काव्य रचना का लोकार्पण आज  पूर्वांचल की शान हिंदी संस्थान लखनऊ द्वारा पुरस्कृत गुलाब राय सर्जना एवं सुब्रमण्यम भारती जैसे पुरस्कारों से सम्मानित सरस्वती पुत्र कविवर बृजभूषण राय ब्रिज के काव्य रचना प्रकृति मजरी पुस्तक का विमोचन एक होटल में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी साहित्य के  विद्वान दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर रामदेव शुक्ल द्वारा किया गया। इस अवसर पर हिंदी साहित्य के प्रमुख विद्वान प्रोफेसर रामदरस राय ,प्रोफेसर कृष्ण चन्द लाल ,प्रोफेसर सूर्य प्रकाश त्रिपाठी, प्रोफेसर योगेंद्र तिवारी , उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष सत्य प्रकाश सिंह सहित कई अन्य वक्ताओं ने कवि और बृजभूषण राय ब्रिज के पुस्तक प्रकृति मंजरी के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालते हुए इस पुस्तक को सनातन धर्म की परंपराओं एवं पर्यावरण सुरक्षा की धरोहर को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला बताया। सभा को संबोधित करते हुए बृजभूषण राय ब्रिज ने बताया अपनी पुस्तक प्रकृति मंजरी में सनातन धर्म एवं संस्कृति पर्वों को एक साथ लाते हुए, मौसम परिवर्तन से खेती किसानी व हर क्षेत्र को इस पुस्तक में समेटने का प्रयास किया है। कविवर ब्रिज ने पुस्तक परंपराओं एवं सभ्यताओं को जीवित रखना एवं करोना जैसी महामारी से सुरक्षित रहने हेतु प्रकृति के रक्षा हेतु एक कोशिश बताया। इस अवसर पर प्रोफेसर योगेंद्र तिवारी ने पुस्तक की विशेषताओं एवं रचनाकार के प्रकृति प्रेम का उदाहरण करते हुए ,प्रकृति की सुरक्षा के लिए प्रकृति मंजरी को अधिकतम स्रोता तक पहुंचाने के संदेश के साथ ही कवि की इस रचना की लंबी उम्र की कल्पना इन लाइनों के साथ की कि,जबले सरयू में बहता पानी रहे तबले ब्रिज के मंजरी की रवानी रहे ।प्रोफेसर सूर्यकांत त्रिपाठी ने कविवर ब्रिज की इस कृति को मानवता के  संरक्षण एवं लोक संस्कृति के रक्षण के संदेशवाहक के रूप में बताया ।प्रोफेसर रामदरस राय जी की इस पुस्तक के समीक्षा भूमिका के लेखक की है। उन्होंने कविवर ब्रिज के इस कालजई रचना को प्रकृति के ऋतुओं का वर्णन के साथ ही पुस्तक के शीर्षक को बहुत ही अर्थवान होने के साथ ही कविवर की प्रकृति के प्रति आगाड़ प्रेम के वर्णन को प्रकृति में संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण रचना बताया ।प्रोफेसर कृष्ण चन्द लाल जी ने कविवर ब्रिज की रचना को अवधी एवं भोजपुरी का मिलन बिंदु बताते हुए इसे प्रकृति का काव्य बताया। प्रोफेसर लाल ने प्रकृति मंजरी के प्रकृति की सुरक्षा के संदेश में केदारनाथ में आए हुए भूकंप एवं बॉर्डर को जोड़ते हुए कवि की रचना का एक अद्वितीय कृति बताया ।

कार्यक्रम के अध्यक्ष  प्रोफेसर रामदेव शुक्ल जी ने अपना संबोधन भोजपुरी भाषा में किया। जिसमें उन्होंने कहा कि प्रकृति एवं मनुष्य का संबंध मां एवं बेटा का होता है और कविवर ब्रिज अपने कल्पना के काव्य रूप देवे खातिर पहाड़ो  पर न जाकर ,अपने गांव एवं घर पर रहिके के रचना किये।  ब्रिज की रचना को उन्होंने आज के उपभोक्तावाद संस्कृति के जमाने में प्रकृति के संरक्षण को महत्वपूर्ण बताया ।

इस समस्त कार्यक्रम का आयोजन गोरखपुर वीर सेनानी कल्याण संस्थान के संस्थापक निदेशक संदीप राय एवं कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर सुधीर शुक्ला द्वारा किया गया है ।इसमें कविवर के पैतृक निवास एवं गोरखपुर के तमाम गण मान्य लोग उपस्थित रहे।


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