नौकरी पर खतरा : B.Ed डिग्रीधारी शिक्षकों के बाद सरकारी लैब तकनीशियन के खिलाफ हाईकोर्ट ने सुना दिया बड़ा फैसला..

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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

पटना

बिहार में छठे चरण में हुए प्राथमिक स्कूलों में नियुक्त हुए 22 हजार बी.एड डिग्रीधारी शिक्षकों के बाद पटना हाईकोर्ट ने अब लैब तकनीशियनों को झटका दिया है.पटना हाईकोर्ट ने का है कि 2005 से अनुबंध पर कार्य कर रहे लैब तकनीशियनों को महज अनुभव के आधार पर स्थाई नियुक्ति नहीं दी जा सकती है, बल्कि उनके पास बिहार सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान द्वारा प्रस्तावित प्रयोगशाला तकनीशियन में डिप्लोमा की वांछित डिग्री होना अनिवार्य है.

पटना हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में ये स्पष्ट किया है कि बिहार के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में 2005 से अनुबंध पर काम कर रहे लैब तकनीशियन 2014 में बने नए कैडर नियम के बाद अपने पदों पर बने नहीं रह सकते।बड़ी संख्या में दायर याचिकाओं पर चीफ जस्टिस के वी चंद्रन एवं जस्टिस राजीव रॉय की खंडपीठ ने सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रखा था,जिसे सुनाया गया।

कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि ऐसे लैब तकनीशियनों का कार्य अनुभव उन्हें कोई पात्रता प्रदान नहीं कर सकता है । यदि उनके पास बिहार सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान द्वारा प्रस्तावित प्रयोगशाला तकनीशियन में डिप्लोमा की वांछित योग्यता नहीं है,तो वे अपने पद पर नहीं बने रह सकते है। कोर्ट ने बिहार कर्मचारी चयन आयोग की अपील को स्वीकार करते हुए यह निर्णय सुनाया।कोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार सरकार के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत लैब तकनीशियनों की नौकरी पर खतरा आ गया है.


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