घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 31 के तहत भरण-पोषण आदेश का पालन न करने पर व्यक्ति को समन नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

दिल्ली

 दिल्ली हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि कि भरण-पोषण के भुगतान के आदेश का पालन न करने पर किसी व्यक्ति को घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 की धारा 31 के तहत तलब नहीं किया जा सकता है।

जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि अधिनियम का ध्यान भरण-पोषण या अंतरिम भरण-पोषण आदेशों के माध्यम से घरेलू हिंसा के पीड़ितों को तत्काल और प्रभावी राहत प्रदान करने पर है और भरण-पोषण का भुगतान न करने पर हमलावर के खिलाफ तुरंत आपराधिक कार्यवाही शुरू करने और ऐसे व्यक्ति को जेल भेजने का विचार नहीं है।

उन्होंने कहा,

इसलिए, अधिनियम का उद्देश्य हमलावर को जेल भेजने के विपरीत, घरेलू हिंसा के पीड़ितों की सुरक्षा, पुनर्वास और उत्थान प्रदान करना था। दूसरे शब्दों में, मौद्रिक आदेशों को लागू करने के पीछे का उद्देश्य पीड़ित को आर्थिक सहायता प्रदान करना होगा, न कि हमलावर को कैद करना।''

 जस्टिस शर्मा ने पत्नी द्वारा दायर एक मामले में मौद्रिक राहत या अंतरिम भरण-पोषण का अनुपालन न करने पर अधिनियम की धारा 31(1) के तहत निचली अदालत द्वारा पति के खिलाफ पारित समन आदेश को रद्द करते हुए ये टिप्पणियां कीं।

पत्नी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि उसे अंतरिम भरण-पोषण देने के न्यायिक आदेश होने के बावजूद, आरोपी पति इसका पालन करने में विफल रहा, और इस प्रकार, वह PWDV अधिनियम की धारा 31 (1) और धारा 498A आईपीसी के तहत सम्मन किए जाने के लिए उत्तरदायी है। 

याचिका का निपटारा करते हुए, अदालत ने कहा कि गुजारा भत्ता या अंतरिम गुजारा भत्ता देने के आदेश सहित मौद्रिक राहत का अनुपालन न करने पर अधिनियम की धारा 20 (6) के प्रावधानों के साथ-साथ सीआरपीसी के प्रावधानों के अनुसार निपटा जाना चाहिए। 

केस टाइटलः अनीश प्रमोद पटेल बनाम किरण ज्योत मैनी


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