राजेश कुमार यादव की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के बीआरडी पीजी कॉलेज के एक लिपिक ने डाटा से छेड़छा़ड़ कर खुद के और अपनी पत्नी के बैंक खाते में वेतन मद में लाखों रुपये ट्रांसफर करा लिए।
पौने पांच साल तक बाबू ये खेल करता रहा लेकिन किसी को भनक तक नहीं लग सकी।
अक्तूबर में भूमि विवाद में बाबू की हत्या के बाद रहस्य से पर्दा उठा है।
क्षेत्रीय उच्च शिक्षाधिकारी ने जांच समिति गठित कर पांच दिन में रिपोर्ट मांगी है।
बताते हैं कि भूमि विवाद में हुए संघर्ष में घायल लिपिक की मौत के बाद अक्तूबर माह का वेतन बनाने का जिम्मा
दूसरे बाबू को मिला तब फर्जीवाड़े का यह मामला सामने आया। इसके बाद मामले की जांच शुरू हो गई।
शुरुआती जांच में पता चला है कि वर्ष 2018 के अंत में फर्जी कागजात तैयार कर आरोपित बाबू ने क्षेत्रीय उच्च शिक्षाधिकारी कार्यालय में जमा करा दिया था।
जनवरी 2019 से ही आरोपित बाबू ने अपनी पत्नी को फर्जी तरीके से कर्मचारी का वेतन बनाना शुरू कर दिया था।
वह हर महीने बिल बनाकर प्राचार्य से अग्रसारित करा लेता था।
जनवरी 2019 से अक्तूबर 2023 तक उसकी पत्नी के खाते में वेतन के रूप में अलग-अलग राशि जाती रही।
30 सितंबर को बनाए अंतिम वेतन में भी उसकी पत्नी के यूनियन बैंक के अकाउंट में वेतन के रूप में 2.60 लाख रुपये कोषागार से ट्रांसफर हुआ था।
प्राचार्य ने कहा-दो-तीन दिन में बताऊंगा पूरा मामला
इस सम्बंध में प्राचार्य प्रो. शरद चन्द्र मिश्र से ‘हिन्दुस्तान’ ने बात की।
उन्होंने कहा कि दो-तीन दिन बाद पूरा मामला बता पाऊंगा। अभी मामले की जांच चल रही है।
सभी स्तरों पर हुई चूक
आयकर समेत विभिन्न जांच में करीब पांच साल तक यह मामला नहीं खुला।
न प्राचार्य यह मामला पकड़ सके और न ही क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय।
प्राचार्य वेतन अग्रसारित करते रहे तो क्षेत्रीय कार्यालय भी उसे जिला कोषागार में बढ़ाता रहा।
कोई नया लाभार्थी जुड़ता है तो कॉलेज से लेकर क्षेत्रीय कार्यालय तक में उसका रिकॉर्ड तैयार किया जाता है।
आंतरिक जांच में कॉलेज में आरोपित बाबू की पत्नी का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है।
सिर्फ वेतन ही जाता रहा।
समिति ने शुरू की जांच
उच्च शिक्षा अधिकारी (आरएचईओ) द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति में दो कॉलेजों के प्राचार्य व एक लेखाधिकारी शामिल हैं।
समिति ने सोमवार को जांच भी शुरू कर दी है।
पहले दिन क्षेत्रीय कार्यालय में कॉलेज के वेतन से सम्बंधित फाइलों की जांच की गई।
सभी लाभों पर फंस गया पेच
आरोपित बाबू की पत्नी को मृतक आश्रित कोटे में नौकरी,
पेंशन, जीपीएफ फंड आदि की प्रक्रिया कॉलेज और क्षेत्रीय शिक्षाधिकारी कार्यालय द्वारा शुरू कर दी गई थी।
इसे अब रोक दिया गया है।
पत्नी पर कार्रवाई की तलवार भी लटक गई है।
मामले की जानकारी मिलने के बाद निदेशालय को इसकी सूचना दे दी गई है।
तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर पांच दिन में रिपोर्ट मांगी गई है।
रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। इसमें लिपिक द्वारा खुद के अकाउंट में कई बार वेतन से ज्यादा पैसे का बिल बनाकर ट्रांसफर कराया गया है।
उसने पत्नी को भी फेक बेनिफिशियरी बनाकर लाखों का गबन किया है।"
डॉ अश्वनी कुमार मिश्र, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी।