नेपाल में भूकंप से डिप्टी मेयर की मौत, जानें क्यों बार-बार हिलती है नेपाली धरती?

A G SHAH
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राजेश कुमार यादव की रिपोर्ट

अधिकारियों के मुताबिक, शुक्रवार आधी रात को उत्तर-पश्चिमी नेपाल के जिलों में आए जोरदार भूकंप से कम से कम 129 लोगों की जान चली गई और दर्जनों लोग घायल हो गए हैं। अधिकारियों ने शनिवार तड़के कहा, कि मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है, जबकि कई जगहों पर कम्युनिकेशन पूरी तरह से कट गया है।

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ने हेलीकॉप्टर से प्रभावित इलाकों का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया है। वहीं, चिकित्सा टीमों और दवाओं को लेकर भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में उड़ान भरने के लिए तीन हेलीकॉप्टर तैयार किए गए हैं। अधिकारियों ने बताया है, कि मौसम खुलते ही ये हेलीकॉप्टर काठमांडू से भेजे जाएंगे।

नेपाल में भूकंप से तबाही

वहीं, नेपाली मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भूकंप की वजह से जाजरकोट की डिप्टी मेयर सरिता सिंह की मौत हो गयी।

भूकंप के झटके नई दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और भारत के कई अन्य स्थानों पर भी लगभग उसी समय महसूस किए गए, जब कई लोग अपने घरों में सो रहे थे। उत्तर भारत के प्रयागराज, फ़रीदाबाद, गुरुग्राम, भागपत, वाराणसी, सुल्तानपुर, कुशीनगर, गोरखपुर और मिर्ज़ापुर सहित अन्य जिलों में भी झटके महसूस किए गए।

रिपोर्ट के मुताबिक, रिक्टर पैमाने पर भूकंप का मैग्नीच्यूड 6.4 मापा गया है और इसका सेंटर नेपाल में ही था। नेपाल के राष्ट्रीय भूकंप निगरानी एवं अनुसंधान केंद्र ने कहा, कि इसका केंद्र जाजरकोट में था, जो नेपाल की राजधानी काठमांडू से लगभग 250 मील उत्तर पूर्व में है।

पुलिस ने कहा कि भूकंप ने रुकुम जिले में कम से कम 37 लोगों की जान ले ली, जहां कई घर ढह गए।

अधिकारी ने बताया कि तीस घायल लोगों को पहले ही स्थानीय अस्पताल लाया जा चुका है। पुलिस ने बताया कि पड़ोसी जाजरकोट जिले में 92 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है।

भेरी अस्पताल, कोहलपुर मेडिकल कॉलेज, नेपालगंज सैन्य अस्पताल और पुलिस अस्पताल को भूकंप प्रभावितों के लिए समर्पित अस्पताल बनाया गया है। नेपाल में सभी हेली-ऑपरेटरों को तैयार रहने के लिए कहा गया है और प्रभावित क्षेत्रों से घायलों को एयरलिफ्ट करने की सुविधा के लिए नियमित उड़ान आवाजाही निलंबित कर दी गई है। नेपाल के अधिकारियों ने कहा, कि नेपालगंज हवाई अड्डे और सैन्य बैरक हेलीपैड पर एक एम्बुलेंस तैनात करने के निर्देश दिए गए हैं।

अधिकारी के मुताबिक सुरक्षाकर्मी मृतकों और घायलों को मलबे से निकालने के लिए अंधेरे में ग्रामीणों के साथ बचाव अभियान में लगे हुए हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि कुछ स्थानों पर पहुंचने में काफी मुश्किलें आ रही हैं, क्योंकि भूकंप और उसके बाद आए झटकों के कारण हुए भूस्खलन के कारण कुछ रास्ते अवरुद्ध हो गए हैं।

आपको बता दें, कि पर्वतीय देश नेपाल में भूकंप आना आम हैं। 2015 में, 7.8 तीव्रता के भूकंप ने लगभग 9,000 लोगों की जान ले ली थी। लिहाजा, सवाल ये उठता है, कि आखिर नेपाल में बार बार भूकंप के झटके क्यों आते हैं?

नेपाल में बार बार आता है भूकंप

2015 से पहले नेपाल में बड़ा भूकंप 1932 में आया था, जिसमें 3 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। वैज्ञानिकों के मुताबिक, पृथ्वी का क्रस्ट टेक्टोनिक प्लेट से बना हुआ होता है और जमीन के नीचे का ये भूभाग काफी विशालकाय होता है। टेक्टोनिक प्लेट लगातार गतिमान रहते हैं और अकसर इनमें टक्कर हो जाती है और भूकंप इसीलिए आते हैं।

बात अगर नेपाल में आने वाले भूकंपों की करें, तो नेपाल हिमालय की गोद में बसा है और इस क्षेत्र में जो टेक्टोनिक प्लेट है, वो इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे लगातार दब रही है। वैज्ञानिकों ने पाया है, कि हर साल नेपाली प्लेट करीब 5 सेंटीमीटर दब जाती है, जिससे हिमाल की ऊंचाई भी हर साल 5 सेंटीमीटर बढ़ जाती है।

लेकिन, प्लेटों के दबने की वजह से चट्टानों के ढांचे में एक तनाव पैदा होता है, क्योंकि चट्टान इसे बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं, लिहाजा धरती हिल जाती है।

 

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