बिना दुःख के भगवान की याद नही आती : धन्वंतरि दास

A G SHAH . Editor in Chief
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सुल्तानपुर से राजेश कुमार यादव की रिपोर्ट

सुल्तानपुर- बल्दीराय तहसील क्षेत्र के हलियापुर में द्वितीय दिवस की कथा में पूज्य महाराज श्री धन्वंतरि दास ने श्रीमद्भागवत की मंगलाचरण का विश्लेषण किया और बताया कोई भी जब मंगल कार्य किया जाता है उसके पहले मंगलाचरण करना अति आवश्यक है।भगवान के 24 अवतारों की कथा सुनाई।कुंती स्तुति का वर्णन करते हुए बताया जीवन में जब तक दुख ना हो तब तक भगवान की याद नहीं आती इसलिए कुंती ने भगवान श्री कृष्ण से सुख नहीं मांगे दुख मांगे,दुख इसलिए मांगे उन दुखों में भगवान निरंतर साथ में रहते हैं। सुख संपत्ति आते ही यह जीव भगवान को भूलकर संसार में खो जाता है। कथा के क्रम में भीष्म पितामह की स्तुति का भी विस्तार से वर्णन किया और बताया कि मृत्यु जब सामने खड़ी हो उस समय संसार का चिंतन नहीं करना चाहिए केवल अपने आराध्य भगवान श्री कृष्ण का चिंतन करना चाहिए और उनका दर्शन करते-करते अपने प्राणों का भगवान के चरणों में समर्पण कर देना चाहिए।भीष्म पितामह ने भगवान की स्तुति करते-करते भगवान का दर्शन करते-करते भगवान के परम पद की प्राप्ति की थी।श्री परीक्षित जी के चरित्र को सुनते हुए पूज्य महाराज जी ने बताया संत के अपमान को भगवान भी सहन नही कर पाते। संत के अपमान से ही परीक्षित जी महाराज को शाप मिला और उनके कल्याण के लिए श्री सुखदेव जी महराज पधारे।इस अवसर पर तीर्थराज सिंह,श्याम सुंदर सिंह,रणविजय सिंह,नंदप्रताप सिंह,धर्मराज सिंह,शिवहरि कौशल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।


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