रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
ग्रेटर नोएडा वेस्ट : ग्रेटर नोएडा वेस्ट में चल रही अवैध हाउसिंग परियोजना के खिलाफ अथॉरिटी ने बड़ा कदम उठाया है। अवैध निर्माण को बुलडोजर से तोड़ दिया गया है। यहां बिना अनुमति फ्लैटों का निर्माण कर रहे बिल्डर और उसके दस लोगों पर एफआईआर दर्ज करवाई गई है। खास बात यह है कि जिस जमीन पर यह अवैध निर्माण चल रहा था, वह अथॉरिटी की जमीन है। अथॉरिटी ने करीब 10 साल पहले किसानों को मुआवज़ा दे दिया था। अब इस 12 हज़ार वर्ग मीटर जमीन की चारदीवारी करके भीतर अवैध रूप से फ़्लैट बनाए जा रहे थे। प्राधिकरण से मिली जानकारी के मुताबिक क़ब्ज़े से मुक्त करवाई गई ज़मीन की क़ीमत करीब 100 करोड़ रुपये है।
बाउंड्रीवॉल बनाकर जारी था अवैध निर्माण
ग्रेटर विकास प्राधिकरण के सहायक प्रबंधक गौरव बघेल ने बताया कि बिसरख में खसरा नंबर 814 की करीब 12,000 वर्ग मीटर जमीन की अवैध रूप से बाउंड्रीवॉल कर ली गई थी। यह जमीन करीब दस साल पहले विकास प्राधिकरण ने अधिग्रहित कर ली थी। जमीन के काश्तकारों को मुआवज़ा दिया जा चुका है। अवैध रूप से प्राधिकरण की जमीन पर क़ब्ज़ा कर लिया गया। शुक्रवार की सुबह प्राधिकरण का दस्ता मौक़े पर गया। बुलडोजर लगाकर चारदीवारी को ध्वस्त कर दिया गया है। भीतर चल रहे निर्माण को रोक दिया गया है। जब प्राधिकरण का दस्ता मौक़े पर पहुंचा तो वहां निर्माण कर रही लेबर और दूसरे कर्मचारी भाग खड़े हुए। प्राधिकरण के अधिकारी भारी फ़ोर्स लेकर मौके पर पहुंचे थे।
बिल्डर के खिलाफ एफआईआर दर्ज
गौरव बघेल ने बताया कि यह अवैध निर्माण बादलपुर का रहने वाला मनोज नागर नाम का बिल्डर करवा रहा था। मनोज नागर और उसके अन्य कर्मचारियों के ख़िलाफ बिसरख थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई है। इनके ख़िलाफ आगे की क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी। अथॉरिटी के सहायक मैनेजर गौरव बघेल ने बताया कि जिस 12 हज़ार वर्ग मीटर पर यह अवैध हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाया जा रहा था, उसकी क़ीमत करीब 100 करोड़ रुपये है। जमीन को क़ब्ज़ा मुक्त करवा लिया गया है। प्राधिकरण ने पूरी जमीन अपने क़ब्ज़े में ले ली है। मौक़े पर बोर्ड लगाकर चेतावनी दी गई है। अगर भविष्य में इस जमीन पर क़ब्ज़ा किया गया या अवैध निर्माण किया गया तो कड़ी क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी।
प्राधिकरण की अरबों की जमीन पर कब्जे
आपको बता दें कि बिसरख, जलालपुर, पतवाड़ी, रोजा, याकूबपुर, शाहबेरी, मिलक लच्छी और आसपास के गांवों में विकास प्राधिकरण ने वर्ष 2007 लेकर 2009 तक बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहित की थी। इसमें से बहुत सारे भूखंडों का अभी तक आवंटन नहीं किया गया है। गांव के आसपास और आबादी के बीच में प्राधिकरण की अच्छी ख़ासी जमीन ख़ाली पड़ी हुई है। भूमाफिया और कॉलोनाइजर प्राधिकरण की इन जमीन पर कब्ज़ा कर रहे हैं। अवैध रूप से हाउसिंग सोसाइटी और कॉलोनी बसा रहे हैं।